Thursday, January 13, 2011
सेलेबल बनना है तो खुद को बदलो
सैर्डे को ग्लैमर की दुनिया की दो बड़ी खबरों पर हर किसी की निगाह रही। पहली आईपीएल-4 की लाइव नीलामी और दूसरी बिग बॉस-4 का ग्रैंड फिनाले. दोनों में कुछ बातें चौकाने वाली रहीं. दोनों के साथ आश्चर्यजनक संयोग भी रहा. जहां आईपीएल-4 की नीलामी में अपने तेवर के लिए विख्यात रहे इंडिया के सफलतम कैप्टन सौरव गांगुली और इतिहास रचने वाले महान बल्लेबाज ब्रायन लारा पर किसी ने दांव नहीं लगाया वहीं बिग बॉस-4 में मनोज तिवारी जैसे कलाकार को पछाडऩे वाले अस्मित पटेल की जीत को लेकर ज्यादा कयास लगाया जा रहा था लेकिन वे टॉप टू से पहले ही आउट हो गए. कमोवेश यही हाल डॉली बिंद्रा का भी था.सिर्फ खुद को हाईलाइट करने का तरीका ही आपके मोस्ट सेलेबल होने की वजह नहीं बन सकता है. सेलेबल बनना है तो एग्रेशन और परफार्मेंस दोनो चाहिए. कम से कम आज के यूथ को यह बात पता है. यही कारण है कि आईपीएल के बड़े से बड़े दांव भी यूथ पर ही लगाए गए. गौतम गंभीर, युसुफ पठान, सौरभ तिवारी, रोहित शर्मा, इरफान इसका एक्जैम्पल हैं. आईपीएल में सौरव गांगुली, ब्रायन लारा यहां तक कि टी-20 वर्ड कप में पहली सेंचुरी जडऩे वाले क्रिस गेल के अलावा भी इस आईपीएल में कई बड़े खिलाड़ी अपने लिए एक अदद खरीददार नहीं जुटा पाए. मैसेज साफ है कि एग्रेसन के साथ-साथ परफार्मेंस और परफार्मेंस के साथ-साथ एग्रेसन भी चाहिए. यदि इन्हीं तीन खिलाडिय़ों की बात करें तो सौरव में एग्रेसन था लेकिन परफार्मेंस इन दिनों चौपट था ठीक उसी तरह से ब्रायन लारा इन दिनों दोनों मोर्चों पर खामोश थे. क्रिस गेल में एग्रेशन बिलकुल नहीं है हां परफार्मेंस जरूर ठीक रही है लेकिन वह भी इन दिनों कमजोर पड़ी है. अब आइए बिग बॉस-4 में तो अस्मित पटेल का पूरा एग्रेशन वीना मलिक एक्स्ट्रा ग्लैमर के साथ खत्म हो गया था. शायद, अस्मित वीना के रहते ही मनोज तिवारी को पछाड़ पाए थे लेकिन फाइनल में यह कलकुलेशन नहीं चल पाया. डॉली इस पूरे शो में दो रूप में दिखीं. ब्रेक पहले और ब्रेक के बाद. जिसने पहला रूप देखा उसने अंतिम धारणा बना ली और फिर दूसरे रूप को देखने के बाद उन्हें डॉली खराब नहीं लगीं पर चहेती भी नहीं बन पाईं. ग्रेट खली में कोई एग्रेशन नहीं था लेकिन डब्ल्यू डब्ल्यू ई का एग्रेशन और परफार्मेंस उनके काम आ गया. अब विजेता श्वेता तिवारी की बात करते हैं. सबसे पहले घर में कदम रखने वाली श्वेता तमाम विवादों के बाद भी अपनी छवि भारतीय जनमानस में बेहतर कायम रख पाने में सफल रहीं. जिस तरह से वोटिंग के दम पर अच्छे लोग बाहर हो गए उस समय दर्शक शायद ही यह उम्मीद लगा पाए हों कि श्वेता विजेता बनेंगी. श्वेता में जीतने के लिए हर जरूरी गुण था. फाइनली वह डिजर्व करती थीं.
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